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Monday, 9 May 2011

सत्य ही क्यों

सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्द्यत रहना चाहिए ::महर्षि  दयानंद कहते है की हमे हमेशा सत्य ,सही और जो वेद के अनुकूल है उसको मान लेना चाहिए और उस मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए ..आगे कहते है की जो झूट है ,छल है ,अविद्या है उसे छोड़ देना चाहिए....
वेद के अनुसार चलकर अपने जीवन श्रेष्ठ बनाये....

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