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आजकल लोगो को कहते हुए सुना जा साकता है की मेरे पास ऐशोआराम है ,धन दौलत है,जो चाहता हु वो मुझे मिलता है इसलिए मै सबसे सुखी हू .
लेकिन यह गलत है ,पैसा,धन,संपत्ति,से सुख प्राप्त नहीं किया जा सकता,सुख की उत्पत्ति मन से होती है,इसीलिए कहा गया है की "मन के जीते जीत है और मन के हारे हार".यदि आप के पास सब कुछ है और आप फिर भी परेशान रहते है तो यह समझ लीजिये की सब कुछ होते हुए भी आप कंगाल है...
सुख का मूल धर्मं है.
जो व्यक्ति इदं न मम (यह मेरा नहीं है) यह भावना रखता है तो वह निश्चित रूप सुखी है क्योकि वह इश्वर को हर कार्य के लिए धन्यवाद देता है,हर काम को ड्यूटी की तरह करता है और फल की इच्छा नहीं करता.....हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम करे ,विजयी भी हो लेकिन इश्वर को धन्यवाद् देना न भूले,इश्वर ही तो है जिसने हमें मार्ग दिखाया और लक्ष्य प्राप्त कराया .....
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