हमारे अमर ग्रन्थ में कहा गया है की हमेशा अपना कर्म करे ,कभी भी सफलता या असफलता में अपना धैर्य न खोये.सफलता आये तो घमंड न करे और जो कुछ मिला इश्वर का धन्यवाद् करते हुए यह भावना रखे की "यह मेरा नहीं है",सब इश्वर का दिया है.इसी भावना को कहते है "इदं न मम " अर्थात यह मेरा नहीं है इश्वर का है.....
ठीक उसी तरह जब जीवन में असफलता मिले तो घबराना नहीं और तब भी इश्वर को धन्यवाद दे की जो तुने किया वह श्रेष्ट है,हे इश्वर तू जो करता है अच्छा ही करता है.....इसलिए रोना किस बात का,गम किस बात का,जो हुआ वो अच्छे के लिए हुआ .....
ऐसा करते हुए अपने जीवन में कभी उस इश्वरको न भूले, जो हमारा पालनकर्ता है,.....हमेशा उस पर भरोसा करे....
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